संम्पादक की कलम: अमरीका के विदेश विभाग से आई एक रिर्पोट से मोदी ट्रम्ंप हनिमून पिरियड में खलल पड़ता नजर आ रहा ट्रम्ंप के सता संभालने के बाद आई इस पहली रिर्पोट में मोदी भक्तों द्वारा किए जा रहे अल्पसंख्यक उत्पीड़न को मुद्दा बनाते हुए धर्म आधारित हत्याएंे व मारपीट पर चिंता व्यक्त की जैसा की सर्व विधिधित है कि भारत में चल रहे हुड़दंग पर अंतरराष्ट्रिय समुदाय की प्रतिक्रियाएं आ रही थी परन्तु अमरीकि विदेश विभाग की रिर्पोट में भारत में हो रही धर्म आधारित हिंसा पर चिंता व्यक्त किया जाना एक अलग तरह का मुद्दा है जिस पर अगर अभी समय रहते ध्यान नही दिया गया तो इसका भारतीय साख पर असर पड़ेगा। विश्व के हर कोने से मिल रही वाही वाही के तिलसम के चलते अतिउत्साहित भगवा समर्थकों का हुड़दगीं रवैये ने विश्व प्रसिद्ध मानवाधिकार संगठन सिविल सोसाईटी को भारत में चल रहे अल्पसंख्यक अत्याचार पर चिंता व्यक्त करने का मौका दिया। मानवाधिकार संगठन ने कुछ संगठनों के आंकड़ों के आधार पर 2017 में भारत में हुई ईसाई समाज की हत्याओं की संख्या में इजाफा होने पर भी चिंता जताई है। सिविल सोसाईटी की रिर्पोट का जिक्र विदेश विभाग ने भी अपनी रिर्पोट में किया है हो सकता है कि इस रिर्पोट को लेकर हिन्दू अतिवादियों को कोई ज्यादा फरक ना पड़े परन्तु देश की अंतरराष्ट्रिय साख पर इस बात का असर पड़ना तय है। वही दूसरी ओर इतना बड़ा सवाल उठने के बाद भी मुस्लिम व ईसाई के प्रति साजिशों का अंत नही हो रहा, देश के किसी ना किसी कोने से हर रोज अल्पसंख्यक समूदाय पर अत्याचार की खबरें आ रही है आज हालात यह है कि धार्मिक सभाआंे, धार्मिक स्थलों व धार्मिक पर्वो पर भी लगातार दखल दिया जा रहा है। आतंकवाद को मुद्दा बनाकर जहां पूरे मुस्लिम समाज को कठगरे में खड़ा कर दिया गया है वही ईसाई समाज को धर्म परिवर्तन कि आड़ में लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। दुखद पहलु तब सामने आते है जब हुड़दंगियों को सुरक्षा और पीड़ितों को दोषी करार दिया जाता है। परन्तु सवाल यह उठता है कि भारतीय समाज में पिछले सात दशकों में इस तरह के मामले नही हुए और अब लगातार इनमें इजाफा हो रहा है इसका जिम्मेदार कौन या किसकी शह पर हो रहे है अल्संख्यकों पर हमलें।